Sunday, December 20, 2009
एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झुलासाता जेठ मास
शरद चांदनी उदास
सिसकी भरते सावन का
अंतर्घट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकचों मे सिमटा जग
किंतु विकल प्राण विहग
धरती से अम्बर तक
गूंज मुक्ति गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ निहारते नयन
गिनते दिन पल छिन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
माननीय अटल जी की ये कविता हमें अतीत को भूल आने वाले नए अनुभवों की अनुभूति और नव सृजन पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है !
इस वर्ष को बीतने में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं, इस बीतते वर्ष में हमने क्या खोया है पाया ?इस पर विचार करते हुए हमे आने वाले नव वर्ष में कुछ नए स्वपन को साकार करना है !
Sunday, December 13, 2009
जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक परिघटना है
भी हिमयुग समाप्त हुआ था । मेरे लेखो मे विन्दुवार विवरण दिया है
कृपा कर पढ़े ।विचार विमर्श करे तभी समझोते हों।
वैज्ञानिको को निम्न तथ्यो को स्पष्ट करना चाहिये.....
1..आज से कई लाख वर्ष पूर्व धरती पर फैला हिम युग समाप्त हो गया था
तब मानव जीवन का अस्तित्व नही था ।
2..तापमान बढ़ने से वायुमंडल के आयन क्षेत्रों मे स्थित रेडियो संवेगी कणो
पर भी प्रभाव होता अर्थात् रेडियो तरंगो का प्रसारण बाधित होना चाहिये था।
3..वायुमंडलीय तापमान बढ़ने से हवा के दाव ,उसके चलने की दिशा,और उँचाई
पर बढ़ते हुये प्रति 165 मीटर पर 1डिग्री सेल्शियश तापमान कम होता है ,इस दर
मे परिवर्तन आने चाहिये थे ।
4..पृथ्वी पर बहु आयामी वायुमंडलीय विवधताये है ,भूभाग के 20%हिस्से पर किये
गये अध्ययन के परिणामो से 80% क्षेत्रो के बारे मे राय जाहिर करना उचित नहीं है।
हमे निम्न लिखित सत्य पर ध्यान देना चाहिये .......
अ...प्रशांत तटीय ज्वालामुखी क्षेत्र "अग्नि वलय "और अन्य भूभागो मे फूट रहे ज्वालामुखी
हमारे क्रिया कलापो से कई गुना अधिक जहरीले गैसे वायुमँडल मे उड़ेल रहे हैं,अतएव
हम कार्बनडाइआक्साईड की मात्रा बढ़ने एवम् ग्रीन हाऊस प्रभाव के दुष्परिणाम से दुनिया को
क्यों डरा रहे हैं।
ब..सौर्यिक विकिरण को अवशोषित करने बाले उत्प्रेरक पदार्थ (जैसे सीमेंट कांक्रीट)आदि से अधोसंरचित
धरातलीय भूभाग अधिक मात्रा मे विकिरण अवशोषित कर निचले वायुमंडल मे तापमान ऊँचा बनाये
रखते हैं ,दुनिया की अधिकाँश मौसम प्रेक्षण शालाये शहरी भागों मे है।
स..धरातल पर ही जल रोके जाने से नदियों द्वारा महासागरो को स्वच्छ जल की आपूर्ति निरंतर घट रही है ।
बृहद् सिंचाई क्षेत्रो से जल सीधे वाष्पीकृत होकर वायुमंडल के तापमान को बढ़ा देता है।
अर्थात् हमे अफवाहो से सावधान रहना चाहिये ।थोड़े अंतराल से प्रथ्वी के समाप्त होने वाली भविष्यवाणियां
होती रहती है ।पर्यावरण के विगड़ने का भय दिखाया जा रहा है ।हमे आशाओं का सृजन करना चाहिये।
द्वारा : कमलेश कुमार दीवान
(अध्यापक एवम् लेखक)
Friday, December 11, 2009
सामन्ती युग की ओर भारत .........
आज की राजनीती देश के विकास की नहीं वरन क्षेत्रीय हितों को लेकर किया जा रहा है ! जहा देश के साथ करोड़ भारतीयों को प्रति दिन २०/- रूपया भी भरण-पोषण के लिए नहीं मिलाता, ये नेता इनकी दशा को सुधारने के लिए आगे नहीं आते मगर क्षेत्रीयता और अलग राज्यों के मांग की राजनीती अवश्य करते हैं !
आजादी के बाद सरदार पटेल ने किस कदर मेहनत कर इस देश की छोटी-छोटी रियासतों को एक कर संप्रभु राष्ट्र का निर्माण किया ,मगर आज उन्ही के पद चिन्हों पर चलने वाले फिर देश को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट रहे है !
इस प्रकार हम फिर मध्यकालीन भारत के सामंती प्रथा की ओर एक कदम बढ़ा रहे हैं ! जहाँ छोटे-छोटे राज्यों या कबीलों के सरदार (आज के मुख्यमंत्री) आपसी वैमनष्यता के कारण आम जनता के हितों की अनदेखी कर देते थे ! आज के ये स्वार्थी राजनीतिज्ञ जनता को सब्जबाग दिखा कर अपना उल्लू सीधा करने की फ़िराक में हैं!
ये शेर पूर्वांचल के मशहूर शायर डॉ० एन ० टी खान द्वारा आज के परिदृश्य पर ...............
अँधेरे बढ़ गएँ हैं, रोशनी के बाग़ लगा।
बुझा ना पाए हवा, इल्म के चिराग लगा !
सियासत बाँट रही हैं, कई खानों में हमें,
तूँ एकता के लिए हर घडी, दिमाग लगा !!
Sunday, December 6, 2009
भाषा के पीछे की भाषा .......
ये पंक्तियाँ राज ठाकरे के भाषाई राजनीती पर ...............
अंग्रेजी सिरमौर्य बनाया, हिंदी पों की धूलों में ,
रखो मराठी भाषा पहले, तुम व्यवहार , उसूलों में !
भाषा के पीछे की भाषा , जनता खुबा समझती है,
पढ़े-लिखे हैं राज ठाकरे कॉन्वेंट स्कूलों में !!
'' डॉ. ऍन . टी . खान ''
भारत में प्रचलित सभी भाषाओँ का विकास मूल भाषा संस्कृत से हुआ है ! अनेक भाषाएँ और रहन-सहन इस देश की अंतरात्मा हैं ! आज समाज को जहाँ एक सूत्र में सजाने की बात होनी चाहिए !जबकि आज की राजनीती भाषा और क्षेत्रीयता पर आधारित और केन्द्रित हो गयी है ! आज देश को एकत्रित होकर आतंकवाद और हिंसा का वीरोध करना चाहिए ! लेकिन कुछ राजनेता स्वार्थ वश भाषा की राजनीती करके देश को क्षेत्रवाद की आग में जलना चाहते हैं ! हिंदी का विरोध केवल दिखावा है ! इस मुद्दे का आम आदमी से कोई लेना-देना नहीं है ! क्योंकि अलग - अलग भाषा जानने वाले देश के हर हिस्से में रहते हैं! उनका केवल इस लिए विरोध की वो उस क्षेत्र की भाषा नहीं जानते !
भारतीय भाषाओँ में हिंदी का दायरा बहुत ही व्यापक और प्रभावशाली है ! वर्तमान में हिंदी साहित्य समाज के लिए दिशा देने का एक सशक्त माध्यम है! जन जागरण और आजादी के आन्दोलनों में हिंदी की रचनाएँ लोगों में देशभक्ति का जश भारती थीं ! यदि हिंदी भाषी क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी राज ठाकरे जैसा व्यवहार करना शुरू कर दें तो फिर इस देश की एकता और संप्रभुता का क्या होगा !
मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें। उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा।
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"
महामना मदनमोहन मालवीय
Sunday, November 29, 2009
कर्त्तव्य से भटकते युवा ................
आज समाज के युवा वर्ग में एक खास बात यह है की वो आपने आस पास के परिस्थितियों के अनुरूप नहीं वरन भौतिक और चमक-दमक भरी जिंदगी में उलझ् कर अपना कैरियर बर्बाद कर रहे हैं ! युवाओं का अपने बड़े बुजुर्गों के सम्मान की तनिक भी चिंता नहीं रहा गया है !उन्हें केवल अपनी मौज-मस्ती से मतलब है !घर में माँ और पिता भले ही बीमार हों उनकी परवाह ये नहीं करते , इन्हें सिर्फ अपने शौक और आराम से काम है !हम ऐसा भी नहीं कह रहे हैं की सभी एक जैसे हैं , लकिन अधिकांश युवा अपने भौतिक आराम के लिए अपने कर्तब्य से मुह मोड़ने में लगे हैं !
हमारी संस्था जो की समाज में शैक्षणिक , और सामाजिक मूल्यों के प्रति लोगों को जागरुक करने की एक मुहीम चला रही है ! जिसमे आप सभी का सहयोग और सुझाव हमें आगे बढ़ने में सहायता करेगा और मानवीय मूल्यों को बढाने में सहायक सिद्ध होगा !
!!! इति शुभम !!
Wednesday, November 25, 2009
AIDS JAGRUKATA
Gaon ke mahilao ko AIDS ke prati jagaruk karane ke liye Sanstha ke Sadsya
Gaon me jakar samudaeek baithak karate hain. Gaon me AIDS se bachaw ke tariko
ke bare me bataya jata hai. Jaise ki HIV ka prasar kis prakar se hota hai. kaun-kaun se
upay karke is se bacha ja sakata hai. Visesh taur se Yuva varg ko prashikshit kiya jata hai.
bachaw ke Upay :
1. SANKRAMIT BLOOD
2. ASURAKSHIT YAUN SAMBANDH
3. SANKRAMIT INJECTION
Ka prayog nahi karana chahiye aur ishshe bachana chahiye .
Tuesday, November 10, 2009
Awereness for medical treatments
Sanstha ka uddesya hai sabhi barge ke logo ko swasthya subhidha kalabh mile . Jiske liye sansthan dwara gramin ilako me swasthya sivir ka aayojan kiya jata hai . Aur gaon ke logo ka muft me ilaj kiya jata hai. Aap sab bhi is Abhiyan ka hissa baniye aur apane dwara kisi ek garib aadami ko ilaj karane ke liye prerna srotra baniye .
Aap ka Subh hoga.