'बिन उम्मीद का अतुल्य बंध'
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"प्यारे साहेब,
आज अरसे बाद कॉफ़ी का पहला सिप लेते ही कुछ पुराना ज़ेहन में उभर आया.. कुछ
'ख़ास' था या उसे इस उपमा से हमने संवारा.. जो था, लबालब था.. मुझ...
1 week ago